केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय ने बाकायदा बयान जारी कर कहा है कि अहमदाबाद में क्रैश हुए ड्रीम लाइनर के दोनों ब्लैक बॉक्स की जांच कहां होगी, यह विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) तय करेगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि हादसा हुए एक सप्ताह हो गया है। अगले दिन ही ब्लैक बॉक्स मिल गए थे और अभी तक भी AAIB यह तय नहीं कर सका है कि ब्लैक बॉक्स की जांच कहां करवाई जाए। ऐसी क्या पर्दादारी।
इस साल अप्रैल में ही AAIB की अपनी पहली ब्लैक बॉक्स जांच लैब का उद्घाटन राज्य उड्डयन मंत्री ने किया था। ऐसा भी नहीं हैं कि देश में आठ से दस लैब हैं और मंथन चले कि जांच कहां करवाई जाए। ले देकर अप्रैल में तैयार हुई इकलौती लैब हैं, उसका भी शायद यह पहला ही कैस हो।
रही बात जांच अमेरिका या ब्रिटेन में कराने की तो भी फैसला एक या दो दिन में हो जाना चाहिए था? एक हफ्ते बाद भी ‘फैसला करेंगे’ कहने का क्या मतलब है!!
सरकार की ऐसी ही हरकतों के बीच ब्रिटिश अखबार डेली मेल ने एक लंबी रिपोर्ट देकर सवाल उठाया है कि क्या सरकार जांच पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है। उसने सवाल उठाया है कि जांच से जुड़े लोग रहस्यमय चुप्पी साधे हैं। एक मात्र बचे चश्मदीद को वीवीआईपी वार्ड में बेहद कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। उसने सुरक्षा में लगाए सशस्त्र गार्डों की गिनती भी दी है। किसी भी पत्रकार को उससे मिलने की इजाजत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उससे खुद मिलकर बात की है।
इस रिपोर्ट में विमान हादसे को लेकर बहुत से सवाल उठाए गए हैं।
इस हादसे में ब्रिटेन के 50 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं। इसलिए ब्रिटेन को भी इस विमान हादसे की जांच रिपोर्ट का इंतजार है।
पिछले साल भारत में ऑटोमैटिक रेल सिग्नल और इंटरसेक्शन सिस्टम की खराबियों की वजह से हो रही ट्रेन दुर्घटनाओं को आतंकी घटनाएं कहकर छुपाने के कोशिश हुई थी। जांच भी बैठाई गई थी। उन सब जांच की रिपोर्ट का क्या हुआ, कोई नहीं जानता। क्योंकि यह सिग्नल प्रणाली एक चहेती कंपनी से खरीदी गई थी।
ट्रेन हादसे देश के ही मामले थे, देश में ही दब गए मगर एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान का हादसा अंतरराष्ट्रीय मामला है। अगर जांच में पारदर्शिता नहीं रखी गई तो पूरी दुनिया में आपकी साख खराब होगी। बहुत से यूरोपीय देश आपकी उड्डयन कंपनियों के विमानों को असुरक्षित मानकर अपने देश में लैंडिंग और उड़ानें भरने की इजाजत रद कर देंगे। कई देशों के साथ वे पहले से ऐसा कर रहे हैं। बहुत बदनामी होगी।
इसलिए कहा गया है ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है। कम से कम जांच में तो सरकार को ईमानदार और पारदर्शी होना चाहिए ताकि दुनिया सवाल उठाकर आपकी साख न बर्बाद कर दे।
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अंकित विजय की कलम से….☝️☝️
