चंद्रयान-3 के बाद लॉन्च हुआ रूस का मिशन लूना 25 चांद पर पहले कैसे पहुंचेगा?

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लूना-25 मिशन 11 अगस्त (शुक्रवार) को सुबह चार बजे लॉन्च किया गया. पहले इसके 23 अगस्त के चांद के सतह को छूने की उम्मीद थी. लेकिन अब इसके 21 अगस्त को वहां पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है.

जबकि चंद्रमा की सतह छूने के लिए निकला चंद्रयान-3 बीते महीने 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था. चंद्रयान 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतर सकता है.

सवाल ये है कि आखिर लगभग एक महीने के बाद भी लॉन्च होकर लूना-25 चंद्रयान-3 से पहले चांद की सतह छूने में कैसे कामयाब होगा?

रूसी मिशन चांद की ओर साढ़े पांच दिन का सफर पूरा करेगा. वहां वह 100 किलोमीटर के कक्ष में तीन से सात दिन बिताने के बाद चांद की सतह पर उतरेगा.

चंद्रयान-3 मिशन रूसी लूना-25 मिशन से बाद में चांद की सतह पर पहुंच सकता है. इसकी वजह ये है चंद्रयान-3 लूना-25 मिशन की तुलना में लंबा रास्ते से सफर कर रहा है.

दरअसल चंद्रयान-3 अपने सफर के ज़रिए पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का लाभ लेना चाहता है. उससे यह काफी कम ईंधन पर सफर करेगा.

हमने लूना-25 के जल्दी चांद पर पहुंचने से जुड़े सवालों पर रीचिंग फॉर द स्टार्स : इंडियाज जर्नी टु मार्स एंड बेयॉन्ड के लेखक और विज्ञान पत्रकार पल्लव बागला से बात की.

उन्होंने कहा, ”ये रॉकेट के ताकतवर होने का मामला है. रूसी रॉकेट ज्यादा बड़ा है. हमारा रॉकेट छोटा है. लिहाजा हमारा रॉकेट चंद्रयान-3 को इतना वेग (वेलोसिटी) नहीं दे सकता है कि ये ज्यादा रफ्तार से चांद की ओर जा सके.”

उन्होंने कहा, ”चूंकि ताकतवर और बड़ा रॉकेट ज्यादा खर्चीला है इसलिए भारत ने छोटे रॉकेट के जरिये अपना मकसद साधने का प्लान बनाया. लेकिन बड़ी बात ये है कि भारत ने मौका नहीं गंवाया. इसने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद अपने मिशन को लॉन्च कर दिखाया. ये भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धि है. जबकि रूस की तुलना में ये अंतरिक्ष मिशन के मामले में छोटा खिलाड़ी है. ”

इसरो ने लूना-25 की सफल लॉन्चिंग पर रोस्कॉस्मॉस को बधाई दी है.

इसरो ने ट्वीट कर लिखा है- लूना-25 की सफल लॉन्चिंग पर रोस्कॉस्मॉमस को बधाई. अपनी अंतरिक्ष यात्राओं में मिलने की जगह का होना अद्भुत है.

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