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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024….
क्या मुख्यमंत्रियों की फौज और केंद्रीय मंत्रियों की सेना 𝙉𝘿𝘼 को झारखंड की सत्ता दिला पाएगा….?
झारखंड राज्य की सत्ता भाजपा के हाथों (एनडीए के हाथों भी कह सकते हैं) 2014 से लेकर 2019 तक कायम रही, परंतु 2019 से 2024 के टर्म तक झारखंड मुक्ति मोर्चा ➕राजद➕कांग्रेस (वर्तमान में 𝙄. 𝙉. 𝘿. 𝙄. 𝘼.है) गठबंधन ने एनडीए गठबंधन को झारखंड की सत्ता से बेदखल रखा।
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा साम दाम दंड भेद नीति इन पांचो उपायों का प्रयोग करने के बावजूद हेमंत सरकार ने अपना 5 वर्षों का कार्यकाल तमाम झंझावातों को झेलते हुए (जिसमें हेमंत सोरेन का जेल जाना भी शामिल था) सफलतापूर्वक पूरा किया। प्राकृतिक संसाधनों और प्रचुर खनिज संपदा से भरपूर झारखंड राज्य की सत्ता से बाहर होना एनडीए को खलता रहा। 2024 के विधानसभा चुनाव में किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने को एनडीए ने काफी पहले से तैयारी शुरू कर दी थी ।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल भेजने से लेकर मुख्यमंत्री के लगभग सभी नजदीकियों को केंद्रीय जांच एजेंसियों के राडार पर रखते हुए झारखंड के राजनीति को उथल-पुथल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इसमें ध्यान देने वाली बात यह रही कि देश की 22 राज्यों के सत्ता पर काबिज केंद्र की एनडीए सरकार को एक भी भ्रष्टाचार के मामले या भ्रष्टाचारी इन राज्यों में नहीं मिले।
2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में एनडीए अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरी और पूर्व मुख्यमंत्रियों की और वर्तमान मुख्यमंत्रियों की एक पूरी फौज इस चुनावी मैदान में उतार दी।
इनमें
1.बाबूलाल मरांडी
2.अर्जुन मुंडा
3.मधु कोड़ा
4.चंपई सोरेन
5.हेमंत विश्वा सरमा
6.शिवराज सिंह चौहान
7.योगी आदित्यनाथ
8मोहन यादव
9.मोहन चरण माझी
10.विष्णुदेव सोय
के साथ केशव प्रसाद मौर्य, सम्राट चौधरी शामिल रहे। केंद्रीय मंत्रियों की पूरी सेना जिनमें
1.राजनाथ सिंह
2.नितिन गडकरी
3.जेपी नड्डा
4.अन्नपूर्णा देवी
5.संजय सेठ
6.नित्यानंद राय
7.धर्मेंद्र प्रधान
8.चिराग पासवान
शामिल रहे। झारखंड में दो चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। पहला चरण 13 नवंबर को और दूसरा चरण 20 नवंबर को संपन्न हुआ ।
कल 23 नवंबर 2024 को मतगणना होना है और इसी बीच कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने अपने-अपने एग्जिट पोलों में कहीं एनडीए को आगे दिखाया है और कहीं इंडिया गठबंधन को आगे दिखाया है।
दोनों पक्षों के सांसे अटकी हुई है। परंतु एनडीए खासकर भाजपा के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है। अगर इतनी बड़ी सेना उतारने के बावजूद झारखंड की सत्ता एनडीए के हाथों में नहीं आती है तो एनडीए के लिए ऐसी स्थिति अपमानजनक होगी और शायद निराशाजनक भी।
नोट- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह की भी झारखंड में चुनावी रैलियां हुईं।

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