टाटा मुख्य अस्पताल (𝙏𝙈𝙃) में कौन चला रहा है पार्किंग का व्यवसाय? 𝙅𝙉𝘼𝘾 ने क्यों साध रखी है चुप्पी?

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टाटा मुख्य अस्पताल में कौन चला रहा है पार्किंग का व्यवसाय? 𝙅𝙉𝘼𝘾 ने क्यों साथ रखी है चुप्पी?
लौहनगरी जमशेदपुर की आबादी वर्तमान में अनुमानित रूप से करीब 25 लाख के आसपास है, और इस बड़ी आबादी को मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाने के वास्ते सरकारी सहित कुछ निजी अस्पताल भी हैं। सरकारी अस्पतालों की अगर बात करें तो एमजीएम यानी कि महात्मा गांधी मेमरियल अस्पताल और सदर अस्पताल हैं।
वहीं अगर निजी अस्पतालों की बात करें तो टाटा मुख्य अस्पताल, टाटा मोटर्स अस्पताल, टिनप्लेट अस्पताल सहित कई छोटे बड़े अस्पताल और नर्सिंग होम हैं। पूरे जमशेदपुर शहर में किसी भी अस्पताल में जाने पर कहीं भी मरीज से या मरीजों के परिजनों से वाहन खड़ा करने के लिए पार्किंग शुल्क नहीं लिया जाता है, परंतु टीएमएच यानी कि टाटा मुख्य अस्पताल शहर का एकमात्र ऐसा अस्पताल है जहां मरीजों से और मरीजों के परिजनों से पार्किंग शुल्क के नाम पर पैसे की वसूली की जाती है।
पार्किंग सेवा 24 * 7 चालू रहती है और दोपहिया वाहनों से प्रति 8 घंटे के लिए ₹5 की वसूली की जाती है। इस अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड है, एचडी वार्ड है, ऑपरेशन थिएटर है, बीसीयु है, न्यूरो वार्ड है, ऑर्थोपेडिक वार्ड है और इन सबके अलावा भी कई अन्य वार्ड हैं। मरीजों के मूवमेंट के हिसाब से शहर का सबसे बड़ा अस्पताल है। और यहां प्राय मरीजों की भीड़ लगी रहती है।
और उसी अनुपात में मरीजों के परिजन भी आते जाते रहते हैं और टीएम का पेड पार्किंग एरिया 24 घंटे दो पहिया वाहनों से भरा रहता है। सूत्रों ने बताया कि पार्किंग में दो पहिया वाहनों से प्रतिदिन की वसूली ₹10000 के करीब है यह रकम महीने के करीब ₹300000 और सालाना करीब 36 लख रुपए के आसपास आता है।
मरीज की बीमारी को लेकर उनके परिजन खुद ही परेशान रहते हैं और ऊपर से यह पार्किंग के रूप में अमानवीय निर्णय खलता है । सबसे बड़ी बात की इन 8 घंटे की अवधि में परिजन चाहे जितनी बार किसी इमरजेंसी में अपनी गाड़ी पार्किंग से निकले उतनी बार फिर से परिजनों को पार्किंग के पैसे दोबारा देने होते हैं। उससे भी बड़ी बात यह है कि वर्तमान में टाटा मुख्य अस्पताल के परिसर के बाहर चल रहे पेड पार्किंग का जिम्मा “कानन इंटरप्राइजेज” नाम की एजेंसी चला रही है और इस एजेंसी को पार्किंग का यह ठेका किसने और कितने में दिया यह जांच का विषय है। शहर में पार्किंग का ठेका मैनेज करवाने का जिम्मा जेएनएसी का है तो क्या यह ठेका 𝙅𝙉𝘼𝘾 के द्वारा दिया गया है?
अगर नहीं तो किसके द्वारा दिया गया है ? जेएनएसी ने पार्किंग को लेकर अपनी आंखें क्यों बंद कर रखी हैं? या फिर गुप्त रूप से कोई आर्थिक लेनदेन का मामला है। वैसे साफ तौर पर यह सरकारी राजस्व का नुकसान नजर आता है और उपयुक्त महोदय अनुमंडल पदाधिकारी महोदया को इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर राजस्व के इस नुकसान को रोकने का प्रयास करना चाहिए।
और साथ ही साथ इस तथाकथित गोरख धंधे में जेएनएसी की संदिग्ध भूमिका की भी जांच करनी चाहिए।

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