टाटा स्टील प्रबंधन से प्राप्त होंडा सिटी कार में घूमने वाले टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों के रीढ़ में कितनी ताकत की, टाटा स्टील प्रबंधन का विरोध कर सकें…..?

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दरअसल ताजा मामला टाटा स्टील ट्रेड अप्रेंटिस के रूप में नवप्रशिक्षित युवाओं के टाटा स्टील में समायोजन का है।
इन 540 के लगभग युवाओं को यूनियन अध्यक्ष संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू चौधरी ने 2023 के यूनियन चुनाव के समय आश्वस्त किया था कि इन सभी प्रशिक्षुओं की ट्रेनिंग अवधि खत्म होने के बाद उन्हें टाटा स्टील में ही समायोजित किया जाएगा।
परंतु टाटा वर्कर्स यूनियन वर्तमान में अत्यंत ही कमजोर हो चुका है, और इस यूनियन के बड़े पदाधिकारीओं में इतनी हिम्मत नहीं की किसी भी विषय पर भी टाटा स्टील प्रबंधन से तर्क कर सकें या तार्किक रूप से अपना विरोध दर्ज करवा सकें।
कभी टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष स्वर्गीय अब्दुल बारी जैसे लोग भी होते थे जो आजीवन झोपड़ी में गुजारा करना पसंद करते रहे परंतु मजदूर हित में कभी समझौता नहीं किया। परंतु वर्तमान में टाटा वर्कर्स यूनियन की साख दांव पर है।
वैश्विक चुनौती और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के साथ आधुनिकीकरण की आड़ में टाटा स्टील के स्थाई कर्मचारियों की गिरती संख्या विस्मयकारी है।
कभी टाटा स्टील में 80,000 से ज्यादा स्थाई कर्मचारी हुआ करते थे। उस समय टाटा वर्कर्स यूनियन का अपना रसुख था।
परंतु स्वर्गीय वी० जी० गोपाल की हत्या के बाद यूनियन दिन पर दिन कमजोर होती गई और टाटा स्टील प्रबंधन, यूनियन पर हावी होता गया।
वर्तमान में साढ़े आठ हजार स्थाई कर्मचारियों का लक्ष्य लेकर चल रही टाटा स्टील प्रबंधन के साथ तर्क करने की स्थिति में टाटा वर्कर्स यूनियन के हाथ पैर फूल रहे हैं। दरअसल टाटा स्टील प्रबंधन का लक्ष्य स्थाई कर्मचारियों की संख्या को अतीत के मुकाबले वर्तमान में 10% के करीब लाया जा चुका है।
टाटा स्टील में स्थाई कर्मचारियों की संख्या को कम कर ठेका मजदूरों की संख्या और आउटसोर्स कर्मचारीयों की बढ़ती संख्या के कारण दिन प्रतिदिन यूनियन कमजोर और कुपोषित होती जा रही है।
भविष्य में 𝘼𝙄 का बड़े स्तर पर इस्तेमाल होने की संभावना को देखते हुए टाटा वर्कर्स यूनियन की तैयारी अर्द्धमूर्छित अवस्था में नजर आ रही है।
आर० रवि प्रसाद जब टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष थे, तब टाटा स्टील प्रबंधन की ओर से उनके उपयोग हेतु लक्जरी होंडा सिटी कार उपहार में दी गई थी।
उस होंडा सिटी कार का उपयोग वर्तमान में यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी ने भी किया था। वर्तमान में टाटा वर्कर्स यूनियन के टॉप 3 अधिकारी अध्यक्ष, महासचिव, और उपाध्यक्ष टाटा की नेक्सान 𝙀𝙑 कार का उपयोग करते हैं।
सवाल यह है कि अगर टाटा स्टील में स्थाई कर्मचारियों की संख्या इसी तरह घटती रही तो हो सकता है कि भविष्य में टाटा वर्कर्स यूनियन का वजूद ही खत्म हो जाए और टाटा वर्कर्स यूनियन केवल इतिहास के पन्नों में ही नजर आए।

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