डॉक्टर के छुआछूत व्यवहार और 108 एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण ग्रामीणों ने किया स्वास्थ्य केंद्र का गेट जाम ।
मामला मुसाबनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केंदाडीह का । आश्वासन के बाद माने ग्रामीण।
स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरो के व्यवहार से नाराज और 108 एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण ग्रामीणों ने शनिवार की सुबह अस्पताल का में गेट जाम कर दिया और प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
ग्रामीणों का नेतृत्व टेरेगा पंचायत की मुखिया दुलारी सोरेन् कर रही थी। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत है कि स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर मरीज के साथ छुआछूत का भेदभाव करते हैं। वह किसी भी बीमारी में मरीज का छूकर इलाज नहीं करते।
इसके अलावा हाल ही में हुई दुर्घटना में 108 एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई जिसके कारण वह नाराज हैl गेट जाम होने के कारण अस्पताल के प्रभारी को गेट के बाहर ही रोक कर रखा गयाl ग्रामीणों ने कहा कि यहां केंद्र के डॉक्टर मरीज का छूकर इलाज नहीं करते । अगर उन्हें बुखार भी हो तो बगैर जांच की यही दवा देते हैं ।
ग्रामीण डॉक्टर के व्यवहार से बहुत ही आक्रोशित थे । lअस्पताल में पिछले 10 दिनों से ज्यादा समय से बिजली नहीं है लेकिन अस्पताल के प्रभारी इस पर कोई कदम नहीं उठा रहे क्योंकि अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में सोलर पैनल लगा हुआ हैl उधर मामले की जानकारी होने पर मुसाबनी की बी.डी.ओ अदिति गुप्ता के साथ-साथ जादूगोड़ा थाना प्रभारी भी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से बात कीl
इस संबंध में अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर सुंदरलाल टुडू ने 108 एंबुलेंस की अनुपलब्धता पर हामी भरी लेकिन डॉक्टरों के व्यवहार पर उन्होंने इनकार किया lउधर मामले की जानकारी मिलने पर जमशेदपुर के डीआरसीएच डॉ रंजीत पांडा और डीएमओ विनय कुमार अस्पताल पहुंचे और मामले की जानकारी ली।
ग्रामीणों के साथ वार्ता के बाद उनकी मांगों को मान लिया गया। कहा कि 15 मई से पहले उन्हें 108 एंबुलेंस उपलब्ध करा दिया जाएगा । साथ ही एक मोबाइल मेडिकल यूनिट उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी। जहां तक डॉक्टर द्वारा किए जा रहे व्यवहार का सवाल है तो सुधार का प्रयास किया जाएगा ।
नहीं होने पर उन्हें बदला भी जाएगाl इसके बाद ग्रामीण राजी हुए और अपने आंदोलन को वापस लिया लेकिन ग्रामीणों ने इस संबंध में अनुमंडल पदाधिकारी के नामित ज्ञापन प्रखंड विकास पदाधिकारी मुसाबनी को सौप है जिसमें एक सप्ताह के भीतर इन मांगों का नहीं मानने की स्थिति में दोबारा आंदोलन करने की बात कही गई है।
