स्वर्गीय जजे. एन. टाटा ने जब इस्पात का कारखाना स्थापित करने के लिए जमशेदपुर शहर को चुना (उस समय इस शहर को “कालीमाटी” के नाम से जाना जाता था ) तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था की स्थापना के लगभग 118 वर्षों के बाद उस समय का छोटा सा शहर आधुनिक महानगर का स्वरूप ले लेगा।
वर्तमान में जमशेदपुर शहर की आबादी लगभग 20 से 25 लाख के आसपास है। समय के साथ इस शहर ने भी आधुनिकीकरण का स्वाद चखा और वर्तमान में इस शहर की अमूमन हर सड़कें वाहनों की आवाजाही से व्यस्त नजर आती है।
हालात को बिगड़ता देख टाटा स्टील ने सड़कों के चौड़ीकरण के कार्य को युद्ध स्तर पर अंजाम देना शुरू किया और सबसे बड़े शुरुआत हुई जमशेदपुर शहर की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली “स्ट्रेट माइल रोड” की।
बारीडीह गोल चक्कर से शुरू होकर कदमा को छूने वाली यह सड़क टाटा स्टील के प्रयास से लगभग चौड़ी हो चुकी है, परंतु बाराद्वारी से लेकर एग्रीको के तीन नंबर गोलचक्कर तक अनुमानित 1.2 किलोमीटर की सड़क के चौड़ीकरण का काम अधूरा है।
यह वही दूरी है जहां यातायात की सबसे विकट समस्या है और आए दिन वाहनों की जाम की स्थिति बनी रहती है । बाराद्वारी के पास आए दिन लगने वाले जाम का अस्थाई समाधान जमशेदपुर की यातायात पुलिस ने इस सड़क के बीचों बीच बांस बल्ली का उपयोग कर इस सकरीं सड़क को दो हिस्सों में बांट कर किया है ।
परंतु इस लगभग 1.2 किलोमीटर सड़क की चौड़ीकरण में क्या समस्या है, यह टाटा स्टील के अधिकारी बताने को राजी नहीं हैं। साथ ही साथ जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी और जमशेदपुर शहर की यातायात पुलिस के लिए भी स्ट्रेट माइल रोड का यह टुकड़ा गले की हड्डी बना हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि एक प्रभावशाली राजनेता की अनुमति या 𝙉𝙊𝘾 नहीं मिलने के कारण सड़क के इस हिस्से के चौड़ीकरण का काम रुका हुआ है।
जिम्मेदार कोई भी हो भुगत तो आम शहरवासी रहे हैं।
