जमशेदपुर मजदूरों के शहर के नाम से विख्यात है। आधुनिकीकरण की हाइपरसोनिक गति पकड़ने से पहले इस शहर में एक समय दो लाख से भी ज्यादा मजदूर कार्यरत थे।
परंतु वर्तमान में यह संख्या घटकर एक चौथाई भी नहीं रह गई है । मजदूरों की समस्याओं के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों में एक से बढ़कर एक कर्मठ मजदूर नेताओं ने अपना सार्थक योगदान दिया है। मजदूरों की इस मिट्टी से जुड़ने वालों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सी.एफ. एण्ड्रूज, प्रोफेसर अब्दुल बारी ,माइकल जॉन ,वी. जी. गोपाल, गोपेश्वर सहित कई नाम शामिल हैं।
दो दशकों तक अपनी पकड़ बना कर रखने वाले गोपेश्वर जब तक जीवित थे ,टेल्को वर्कर्स युनियन में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था।
2008 में गोपेश्वर के निधन के बाद उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का जिम्मा चंद्रभान सिंह और मशहूर मजदूर नेता राजेंद्र सिंह ने उठाया। 2015 के चुनाव में चंद्रभान सिंह मात्र एक मत से चुनाव हार गए और इसी बीच राजेंद्र सिंह भी चल बसे।
2015 के चुनाव में युवा मजदूर नेताओं की एक नई फसल प्रकाश कुमार, अमलेश और हर्षवर्धन के रूप में अस्तित्व में आई। टेल्को वर्कर्स यूनियन चुनाव 2015 में विजयी होकर प्रकाश कुमार महासचिव बने।
खांटी मजदूर परिवेश और पृष्ठभूमि से आने वाले प्रकाश कुमार अपने तेवरों के कारण और प्रबंधन के आगे घुटने ना देखने वाली मानसिकता के कारण जल्द ही टाटा मोटर्स प्रबंधन की नजरों में चढ़ गए। परिणामस्वरूप पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में होने वाले सैन्य तख्ता पलट के तर्ज पर रातों-रात टेल्को वर्कर्स यूनियन में तख्ता पलट को अंजाम दे दिया गया।
बकौल प्रकाश कुमार, मान्यता प्राप्त और गोपेश्वर की विरासत को समेटे टेल्को वर्कर्स यूनियन की मान्यता पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया गया और प्रबंध ने मजदूर नेता के रूप में अपना “तोता” यानी तोते गुट को मान्यता दे दी।
टाटा मोटर्स प्रबंधन के खिलाफ मजदूर हित में कार्य करने की कीमत प्रकाश कुमार को टाटा मोटर्स की अपनी अस्थाई नौकरी गंवाकर करनी पड़ी। टाटा मोटर्स प्रबंधन ने प्रकाश कुमार को बर्खास्त कर दिया।
यही नहीं कंपनी कर्मचारियों के रूप में उपयोग करने हेतु दिया गया कंपनी क्वार्टर भी प्रकाश कुमार से छीन लिया गया। प्रकाश कुमार के अनुसार शहर से बाहर रहने के दौरान उनके क्वार्टर का सारा सामान चोरी करवा दिया गया।
इसके बाद प्रकाश ने न्यायालय का रुख किया और वर्तमान में यह मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है । बकौल प्रकाश कुमार तोते एवं आरके सिंह द्वारा वर्तमान में जो टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन का निबंधन दिखाया जा रहा है, दरअसल वह टीएमएल ड्राइव लाइन का रजिस्ट्रेशन है, जिनकी संख्या 211 है।
पूर्व में टीएमएल ड्राइव लाइन में 700 से 800 कर्मचारी कार्यरत थे जो बाद में किन्हीं कारणों से बंद हो गया। टीएमएल ड्राइव लाइन दरअसल टाटा मोटर्स की Ancillary कंपनी थी ।
वर्तमान में गुरमीत सिंह तोते और आरके सिंह अवैध तरीके से इस यूनियन का नंबर और नाम इस्तेमाल कर रहे हैं, और टाटा मोटर्स प्रबंधन के आगे घुटने टेक कर बैठे हुए हैं।
नोट — टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते के सेवानिवृत्ति का समय नजदीक आ चुका है।बहुत जल्द तोते रिटायर हो रहे हैं। तोते के रिटायरमेंट के बाद यूनियन का अगला अध्यक्ष कौन बनेगा इसके बारे में विस्तृत खबर अगली कड़ी में …..
