50 करोड़ की गर्लफ्रेंड :-
निश्चित रूप से सुनंदा पुष्कर की आत्मा अपने पति शशी थरूर को लानत भेज रही होगी कि जिस व्यक्ति की वह तीसरी पत्नी थीं वह नैतिक रूप से इतना गिरा हुआ है कि जिन लोगों ने सुनंदा पुष्कर की कीमत ₹50 करोड़ लगाई थी , उनका वह पति सत्ता के लिए उनके ही तलवे चाट रहा है…
सुनंदा पुष्कर एक भारतीय-कनाडाई उद्यमी थीं, जो दुबई की टेकम इन्वेस्टमेंट्स में सेल्स डायरेक्टर और भारत की रॉन्डेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड की सह-मालकिन थीं।
ध्यान दीजिए कि सुनंदा पुष्कर से तीसरा विवाह करने के बावजूद शशि थरूर को चैन नहीं था और वह तत्कालीन पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के साथ ईलू ईलू कर रहे थे।
सुनंदा पुष्कर ने 15 जनवरी 2014 को शशि थरूर के ट्विटर अकाउंट से कुछ निजी ब्लैकबेरी मैसेंजर (BBM) मैसेज को सार्वजनिक किया जो उस समय पाकिस्तान की डेली टाइम्स अखबार की एक जानी-मानी पत्रकार मेहर तरार द्वारा शशि थरूर को भेजे गए थे।
इन मैसेज से स्पष्ट हुआ था कि मेहर तरार और शशि थरूर के बीच रोमांटिक संबंध थे। सुनंदा ने मेहर तरार पर उनके पति को “छीनने” की कोशिश करने का आरोप लगाया और सार्वजनिक रूप से ट्वीट्स करके भावनात्मक रूप से आहत होने की बात कही।
शशि थरूर ने कहा कि उनका ट्विटर अकाउंट “हैक” हो गया था, और बाद में, 16 जनवरी 2014 को थरूर और सुनंदा ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि उनका वैवाहिक जीवन सुखी है और वे इस विवाद को खत्म करना चाहते हैं।
इसके ठीक अगले दिन 17 जनवरी 2014 को जब देश में सत्ता के बदलाव की आहट हो रही थी तो सुनंदा पुष्कर दिल्ली के जिस लग्जरी होटल “लीला पैलेस” में अपने पति शशि थरूर के साथ ठहरी थीं उसी कमरे में उसकी रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
तब तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी और प्रथम दृष्टया शशी थरूर को गिरफ्तार कर लेना चाहिए था मगर सरकार उन्हें बचा ले गयी।
सवाल तो यह है कि दो व्यक्ति किसी एक कमरे में रहते हैं और एक व्यक्ति की संदिग्धावस्था में मृत्यु हो जाती है तो उस जीवित व्यक्ति को क्यों गिरफ्तार नहीं करना चाहिए? गिरफ्तार ना सही क्यों पूछताछ नहीं होनी चाहिए? पूछताछ ना सही एक एफआईआर तो होना ही चाहिए…..
मगर कुछ नहीं हुआ, इसके बावजूद कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके शरीर और चेहरे पर 12 से 15 चोटों के निशान मिले और उनकी मृत्यु का कारण ज़हर बताया गया।
बताईए? इसके बावजूद उस कमरे में सुनंदा पुष्कर के साथ रहे उनके पति शशि थरूर की ना गिरफ्तारी हुई ना कोई पूछताछ। संभव हो कि वह निर्दोष हों मगर पुलिस इंटोरेगेशन और अदालती प्रक्रिया के बिना कैसे किसी को निर्दोष कहा जा सकता है।
स्पष्ट था कि केंद्र की कांग्रेस ने उन्हें बचाया और वह फंसे तब जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी की सरकार की दिल्ली पुलिस ने 2015 में सुनंदा की मृत्यु के संबंध में उनके खिलाफ धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 498-ए (पति द्वारा क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया यद्यपि बाद में दिल्ली पुलिस ने इसे हत्या का मामला मानकर जांच शुरू की।
किसी भी क्रिमिनल केस में बिल्कुल शुरुआत में की गई लीपापोती अभियुक्त के पक्ष में ही होती है, मोदी सरकार द्वारा एफआईआर दर्ज होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय पूछताछ के लिए बुलाया गया और जांच में सहयोग करने को कहा गया।
18 अगस्त 2021 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सबूतों की कमी के कारण शशि थरूर को सभी आरोपों से बरी कर दिया मगर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की दिल्ली पुलिस ने इस फैसले के खिलाफ 2022 में दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर की, जो अभी लंबित है।
शशि थरूर को 11 साल पहले की यह घटनाएं याद नहीं कि कैसे उनकी पत्नी की कीमत 50 करोड़ लगाई गई, कैसे उनके संबंध एक पाकिस्तानी पत्रकार से थे , कैसे उनकी पत्नी को लेकर उस दौर में नरेंद्र मोदी उनपर आक्रमण किया करते थे…
मगर उन्हें याद है 50 साल पहले का “आपातकाल” , नसबंदी और संजय गांधी का तानाशाही रवैया…..याद करना भी चाहिए, मगर जिसके लिए खुद इंदिरा गांधी ने अपनी गलती मानी, सोनिया गांधी से लेकर गांधी परिवार के तमाम लोगों ने इसके लिए माफ़ी तक मांग ली उसपर उसी पार्टी में रहते हुए अपनी राजनीति के लिए आक्रमण करना कौन सी नैतिकता है ?
दरअसल राजनीति में नैतिकता नाम की कोई चीज़ नहीं होती, यहां होती है सिर्फ और सिर्फ येन केन प्रकरेण सत्ता हासिल करना… शशि थरूर अपनी पत्नी की कीमत लगाने वाले के साथ इसीलिए गुटर गूं कर रहे हैं…… सुनंदा पुष्कर जीवित रहतीं तो संभव था कि ₹50 करोड़ में बेच भी देते।
राहुल गांधी को सुझाव है कि कल यह खुद पार्टी छोड़ कर जाए उसके पहले इसे धक्के मारकर खुद पार्टी से निकाल दें….



