नशे के सौदागर उमेश गुप्ता के मेडिकल दुकान “मां वैभव लक्ष्मी मेडिकल” और उमेश गुप्ता के घर पर नारकोटिक्स विभाग और ग्रामीण एसपी ऋषभ गर्ग का छापा…..करोड़ों की प्रतिबंधित नशीली दवाइयां बरामद….

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नशे के सौदागर उमेश गुप्ता के मेडिकल दुकान “मां वैभव लक्ष्मी मेडिकल” और उमेश गुप्ता के घर पर नारकोटिक्स विभाग और ग्रामीण एसपी ऋषभ गर्ग का छापा…..
करोड़ों की प्रतिबंधित नशीली दवाइयां बरामद….
समाज के दुश्मन कई तरह के लोग होते हैं। ऐसे लोग आपराधिक मनोवृत्ति के होते हैं और इनका काम समाज की नई पीढ़ी को तक्षक नाग बनकर मौत के आगोश में सुलाना होता है।
इनमें से कई लोग शराब के कारोबारी होते हैं, कई जुए के कारोबारी होते हैं, कई मटका, सट्टा ,लॉटरी और अवैध हथियारों की आपूर्ति करते हैं। कई जाली नोटों का कारोबार करते हैं। कई आईपीएल में सट्टेबाजी करते हैं, तो कई समाज के नई नस्ल को खोखला करने वाले मादक पदार्थों की आपूर्ति जैसे ब्राउन शुगर, अफीम, चरस, गांजा, हेरोइन और स्मैक के कारोबार से जुड़े होते हैं।
परंतु इन सबसे अलहदा सरकारी अनुमति लेकर दवा की दुकान खोलकर नशीली टैबलेट्स ,नशीली दवाइयां, डैंड्राइट, नशीले इंजेक्शन और नकली दवा के कारोबार करने वाले लोग होते हैं।
मेडिकल दुकान चलाने की आड़ में नशीली दवाइयां का सबसे बड़ा सौदागर उमेश गुप्ता की मांनगो डिमना रोड में संचालित “मां वैभव लक्ष्मी मेडिकल” पर आज ग्रामीण एसपी ऋषभ गर्ग और नारकोटिक्स विभाग ने संयुक्त रूप से छापा मारा। इस छापे में “मां वैभव लक्ष्मी मेडिकल” सहित उमेश गुप्ता के भाई राजकुमार गुप्ता उर्फ राजू द्वारा संचालित “न्यू लक्ष्मी मेडिको” सहित डिमना रोड मांनगो के पतंजलि औषधालय के पीछे की कॉलोनी में स्थित घर और मानगो डिमना चौक से आगे आशियाना एंक्लेव के पास आदिवासी जमीन पर बनी एक इमारत में स्थित गोदाम में एक साथ छापेमारी की गई।
इस छापेमारी के बाद उमेश गुप्ता को हिरासत में ले लिया गया है और उससे आगे की पूछताछ उलीडीह थाने में की जा रही है।
पुलिस और नारकोटिक्स के छापेमारी में उमेश गुप्ता के मेडिकल से इससे पहले भी कई बार लाखों की नशीली और प्रतिबंधित दवाइयां बरामद हो चुकी हैं और उमेश गुप्ता को पुलिस पहले भी कई बार जेल भेज चुकी है।
परंतु अपनी आदतों के हाथों मजबूर होकर उमेश गुप्ता ने अपनी पत्नी आरती गुप्ता उर्फ सीमा गुप्ता को अपना राजदार बनाकर नशीली दवाइयां की आपूर्ति का जमशेदपुर शहर में किंग बन बैठा।
उमेश गुप्ता का ससुराल रांची में है। सूत्रों ने बताया की उमेश गुप्ता और उसकी पत्नी को इस घिनौने व्यापार का ककहरा उन्हीं लोगों ने अपने सरपरस्ती में सिखाया। उपायुक्त महोदय को निजी तौर पर इस मामले में संज्ञान लेने की आवश्यकता है, और ऐसे लोगों को चिन्हित कर समाज से हमेशा के लिए तड़ीपार करने की जरूरत है।
अन्यथा समाज की युवा पीढ़ी के ऐसे दुश्मन दीमक बनकर नई पीढ़ी को खोखला बनाने का काम करते रहेंगे और युवा पीढ़ी नशे की आदि होकर अपराध की जरायम दुनिया में दस्तक देती रहेगी।
नोट- पूर्व में उमेश गुप्ता “महालक्ष्मी मेडिकल” नाम की दुकान चलाने की आड़ में नशीली दवाइयां बेचने के जुर्म में जेल जा चुका है और महालक्ष्मी मेडिकल के लाइसेंस को रद्द कर दिया गया था। फिर दूसरे नाम से इस व्यक्ति को मेडिकल दुकान का लाइसेंस निर्गत करना व्यवस्था की खामी को उजागर करता है।

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