शहर के मजदूर नेता 𝙄𝙉𝙏𝙐𝘾 से तो जुड़े हैं परंतु कन्वाई चालकों के अनशन से बना रखी है दूरी…..
दिनांक 01 मार्च 2024 से टाटा मोटर्स प्रबंधन के खिलाफ कन्वाई चालकों का समूह धरने पर बैठा है। यानी कि अपनी मांगों के समर्थन में उनके आंदोलन को एक वर्ष पूरे होने को हैं।
इस लगभग 1 वर्ष में सड़क किनारे तंबू लगाकर भीषण गर्मी (धरना स्थल में बिजली की कोई सुविधा नहीं है), घनघोर बरसात और हाड़ कंपा देने वाली ठंड को अपने अडिग हौसले के बलबूते पराजित करते हुए इन कन्वाई चालकों का धरना लगातार जारी है। जमशेदपुर को लौहनगरी कहा जाता है। मजदूरों को अपनी मंजिल प्राप्ति का साधन बनाकर मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले मजदूर नेता भी हैं।
वर्तमान में शहर के लगभग सभी मजदूर नेता आलीशान जीवन जीते हैं और लग्जरी कारों में यात्रा करते हैं। इनमें से कई के पास तो राइफल और बंदूके लेकर चलने वाले अंगरक्षकों की फौज भी है। जमशेदपुर के लगभग सभी मजदूर नेता 𝙄𝙉𝙏𝙐𝘾 से जुड़े हैं।
𝙄𝙉𝙏𝙐𝘾 यानि 𝙏𝙝𝙚 𝙄𝙣𝙙𝙞𝙖𝙣 𝙉𝙖𝙩𝙞𝙤𝙣𝙖𝙡 𝙏𝙧𝙖𝙙𝙚 𝙐𝙣𝙞𝙤𝙣 𝘾𝙤𝙣𝙜𝙧𝙚𝙨𝙨 है। इंटक की स्थापना 1947 में हुई थी। इंटक का दावा है कि इसके 30 मिलियन यानी लगभग 3 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं। इसकी स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं सरदार वल्लभभाई पटेल जी के द्वारा हुई थी।
इसके वर्तमान अध्यक्ष डॉ जी संजीव रेड्डी हैं। इंटक का मूल मंत्र ही मजदूरों के हितों की लड़ाई लड़ना है। परंतु लगभग एक वर्ष से सड़क किनारे तंबू लगाकर अपनी मांगों की सूची लेकर धरने पर बैठे कनवाई चालकों से मिलने और उनको अपना समर्थन देने पर उनकी रूह कांप जा रही है। कॉरपोरेट कल्चर में पूरी तरह ढल चुके इन मजदूर नेताओं का अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना असंभव जान पड़ता है। स्वर्गीय अब्दुल बारी, स्वर्गीय बी जी गोपाल, स्वर्गीय गोपेश्वर की विरासत को संभालने वाला इस भीड़ में कोई नजर नहीं आता।


