सांसद विधुत वरण महतो जमशेदपुर के प्रतिभाशाली छात्रों का पलायन दूसरे राज्यों में होने से नहीं रोक पाए…

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सांसद विधुत वरण महतो जमशेदपुर के प्रतिभाशाली छात्रों का पलायन दूसरे राज्यों में होने से नहीं रोक पाए…
मोदी लहर पर सवार होकर (पहले ये झामुमो के वरिष्ठ नेता रहे) दो बार जमशेदपुर‌ लोकसभा संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की| इनके 10 वर्षों तक सांसद रहते कोई भी बड़ी उपलब्धि इनके नाम नजर नहीं आती|
जमशेदपुर इंडस्ट्रियल टाऊन रहेगा या नगर निगम बनेगा ये भी तय नहीं हो सका और संवैधानिक रूप से से शहरवासियों को प्रदत्त तीसरे मत का अधिकार शहरवासियों को नहीं दिलवा सके|
संसद रत्न और संसद महा रत्न तो बने परंतु लौह नगरी को अन्तर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी से नहीं जोड़ पाए| इसके साथ ही साकची और बिष्टुपुर के फुटपाथी दुकानदारों की समस्या को सुलझाने में भी कभी रुचि नहीं दिखाई|
शहर की बड़ी आबादी आज भी स्वच्छ पेयजल को तरस रही है परंतु एक‌ सांसद के तौर पर इस समस्या के निदान के लिए कभी तत्पर नहीं रहे| बात अगर स्वास्थ्य सेवाओं की हो तो शहर के सबसे बडे़ सरकारी अस्पताल एमजीएम की दुर्दशा का हाल जानने को कभी उत्सुकता नहीं दिखाई और ये बात अचंभित करती है| कोई भी राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का अस्पताल जमशेदपुर में खुलवाने में असमर्थ रहे|
आदिम जनजातियाँ सबर और पहाडि़या के विकास के लिए सदैव उदासीन रहे|
शहर के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए शहर से दूसरे राज्यों जैसे दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र या कर्नाटक के लिए पलायन करते रहे परंतु शहर को शिक्षा का‌ हब बनाने का कोई भी प्रयास सांसद महोदय नहीं कर पाए|
दरअसल जमशेदपुर टाटा स्टील डोमिनेटेड एरिया है और टाटा स्टील के किसी भी निर्णय का विरोध करने की स्थिति में कभी नहीं रहे|
लौहनगरी जमशेदपुर के कुल 6 विधानसभा क्षेत्रों पर अगर गौर करें तो पर्यटन की असीम संभावनाएं होते हुए भी पर्यटन को विकसित करने का कोई भी ब्लुप्रिंट तैयार नहीं कर पाए|
सांसद महोदय ने‌ समाज सेवा का सबसे आसान रास्ता चुना, मुख्य अतिथि बन कर समारोहों में शामिल होते रहे….
‌‌‌‌ क्रमश: ‌………….

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