टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष स्व० अब्दुल बारी को बना दिया–” भाग मिल्खा भाग”….

1 min read

टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष स्व० अब्दुल बारी को बना दिया–” भाग मिल्खा भाग”….
टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल बारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। प्रसिद्ध क्रांतिकारी और मजदूर नेता के तौर पर टाटा वर्कर्स यूनियन से जुड़े सुभाष चंद्र बोस के विरासत को अब्दुल बारी ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से जीवन पर्यंत निभाया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी उनके सादगी के कायल थे ,क्योंकि अब्दुल बारी एक झोपड़ी में निवास करते थे। महात्मा गांधी ने उन्हें “फकीर” उपनाम दिया था।
क्योंकि अब्दुल बारी सादगी की प्रतिमूर्ति थे। उन्हीं अब्दुल बारी को फतुहा (पटना के पास) रेलवे क्रॉसिंग के पास 28 मार्च 1947 को गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस समय संध्या के 6:29 हो रहे थे और आज भी उनकी याद में टटा स्टील में प्रतिवर्ष 28 मार्च को संध्या 6:29 बजे पोंगा बजाया जाता है ।
अब्दुल बारी की स्मृति को संजोने के लिए टाटा स्टील प्रबंधन ने कंपनी के मुख्य द्वार के पास स्थित एक बड़े मैदान को अब्दुल बारी के नाम पर “बारी मैदान” कर दिया ।
ये वही बारी मैदान था जहां से रामनवमी और दुर्गा पूजा विसर्जन की सारी कमिटियां एकत्रित होती थी और वहीं से विसर्जन जुलूस यात्रा का आरंभ होता था। कालांतर में टाटा स्टील को अपने विस्तारिकरण के लिए जमीन की जरूरत महसूस हुई और बारी मैदान कंपनी की विस्तारितकरण प्रक्रिया में टाटा स्टील परिसर के अंदर समाहित हो गया।
टाटा स्टील ने उस मैदान के बदले गरमनाला के ताप्ती रोड स्थित कुछ क्वार्टर्स को तोड़कर एक क्लब हाउस बनवाया जिसे अब्दुल बारी क्लब हाउस नाम दिया गया।
उस क्लब में जन्मोत्सव, विवाह उत्सव, सहित तमाम आयोजन होते थे और उसके बदले उपयोगकर्ता्

उपयोगकर्ता से शुल्क वसूला जाता था । इसके साथ ही टेंट हाउस का कारोबार भी फलने फूलने लगा और बारी मैदान क्लबहाउस पैसा कमाने के स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
दोबारा टाटा स्टील को अपने प्लांट विस्तारीकरण के लिए जमीन की जरूरत पड़ी और इस बार फिर से इस पूरे बारी मैदान क्लबहाउस को ध्वस्त कर कंपनी परिसर में समाहित कर लिया गया । तीसरी बार टाटा स्टील प्रबंधन ने साकची गंडक रोड से आगे विवेकानंद स्कूल के पास खाली पड़े मैदान को (जिसे बच्चे वर्षों से खेलकूद को उपयोग में लाते थे) घेर कर वहां एक नए क्लब हाउस का निर्माण करवाया और उसे फिर से तीसरी बार बारी मैदान क्लबहाउस का नाम दिया ।
जबकि वहां से मात्र 50 मीटर की दूरी पर पहले से ही स्टील सिटी क्लबहाउस चल रहा है। इस नव निर्मित क्लब हाउस का पूर्ण रूप से व्यावसायिक उपयोग होता है और उपयोगकर्ता से क्लब के शुल्क के अलावा टेंट हाउस और लाइट के नाम पर मोटी कमाई व्यवस्थापकों और संचालकों द्वारा की जाती है। इस नए बारी मैदान क्लबहाउस में स्वर्गीय या शहीद अब्दुल बारी की ना तो कोई तस्वीर कहीं लगी है और ना ही कोई मूर्ति स्थापित की गई है।
ऐसा लगता है कि टाटा वर्कर्स युनियन की नई कार्यकारिणी ने यह मन बना लिया है कि स्वर्गीय अब्दुल बारी के नाम का उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा पैसों की कमाई की जा सके।
क्योंकि इस बारी मैदान क्लब हाउस में स्वर्गीय अब्दुल बारी से संबंधित कोई भी चिन्ह खोजे नहीं मिलता और अपने पूर्व अध्यक्ष को श्रद्धांजलि देने का टाटा वर्कर्स यूनियन को इससे बेहतर उपाय दूसरा नहीं मिल सकता था।
तभी तो टाटा स्टील के कर्मचारी और टाटा वर्कर्स यूनियन तैयार रहे कि शायद चौथी बार भी स्वर्गीय अब्दुल बारी की स्मृति के साथ ऐसा छेड़छाड़ फिर से हो सकता है। क्योंकि —-“भाग मिल्खा भाग”……..

You May Also Like

More From Author