स्वर्णरेखा नदी के तट का अतिक्रमण कर इसे नदी से नाला बनाना चाहते हैं दत्ता बंधु….
𝙉𝙂𝙏 के संज्ञान में नहीं है मामला…..
वर्कर्स कॉलेज जाने वाले (मानगो) मार्ग में जगबंधु अपार्टमेंट के सामने सार्वजनिक जमीन है । उसके बाद स्वर्ण रेखा नदी का बालू घाट है जो काफी गहरा है ।
पहले नालंदा बिल्डर के दीनबंधु दत्ता, उनके भाई बच्चू दत्त, प्रबल दत्त, सुब्रतो दत्त ने स्वर्ण रेखा नदी के एक हिस्से को डंपिंग कर भरना शुरू कर दिया।
स्थानीय लोगों ने जब इसका विरोध किया तो कहा गया की बहुत गंदगी है, यहाँ सफाई कर पार्क बना दिया जाएगा । इसके कुछ दिनों के बाद उस जमीन को कंटीले तारों से घर कर उसमें गेट लगा दिया गया।
और नदी की ओर काफी दूर तक खूंटा गाडकर जमीन घेरना शुरू कर दिया गया।
इसके साथ ही नदी की ओर जाने वाले सार्वजनिक रास्ते को भी बंद कर दिया गया। स्वर्णरेखा नदी की जमीन घेरने वाले लोगों का कहना है की जमीन हमारे भवन के सामने है इसलिए जमीन हमारा है। झारखंड की लाइफ लाइन स्वर्ण रेखा नदी के तट का तेजी से हो रहा है अतिक्रमण।
राजनेता, पुलिस, प्रशासन, मानगो नगर निगम की मिली भगत से चल रहे इस खेल में स्वर्णरेखा नदी को नाला बनाने की हो रही है साजिश।
स्वर्णरेखा नदी कभी चौड़ी और तेजधार वाली नदी थी लेकिन इसके बहाव क्षेत्र (रेवर बेथ) की जमीन का अतिक्रमण किए जाने से यह नदी से नाला बनकर रह गई है। राजनेता पुलिस और प्रशासन के साथ साथ भू-माफिया नदी तट की जमीन की प्लॉटिंग कर दो से तीन लाख रुपए में बेच रहे हैं, और लोग घर बना रहे हैं।
इस अतिक्रमण से नदी की चौड़ाई कम हो रही है और नदी नाले का रूप ले रही है। “गेज स्टेशन” के आंकड़ों से स्पष्ट है कि 2008 में जितना पानी किसी खास स्तर पर नदी में बहता था, आज की तारीख में उसका 60% पानी ही बह रहा है ।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी कि एनजीटी के नियम के अनुसार पहाड़ी इलाकों में नदी के किनारे से 50 मीटर के भीतर आने वाले क्षेत्र में किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती और इसे निषेध क्षेत्र माना जाएगा।
पहाड़ी इलाकों में 50 मीटर से आगे और 100 मीटर तक इसे नियामक क्षेत्र माना जाएगा। मानगो नगर निगम, मानगो 𝘾. 𝙊. का कार्यालय, अनुमंडल पदाधिकारी महोदया सहित उपायुक्त महोदय को नए सिरे से टीम गठित कर दत्त बंधुओं के दावे का एनजीटी के नियमों से मिलान करना चाहिए कि आखिर किस तरह दत्त बंधु प्रकृति से ही खेलने को आतुर हैं।
और मनमाने ढंग से स्वर्णरेखा नदी के बहाव का प्राकृतिक रास्ता रोककर प्रकृति को ही चुनौती देने पर आमादा हैं।


