जिसके कारण 𝙄𝙋𝙎 की नौकरी छोड़ी, उसी की पार्टी के गठबंधन के साथ डॉक्टर अजय कुमार चुनाव मैदान में….निडर भी, 𝙇𝙚𝙖𝙙𝙚𝙧 भी के साथ क्या डॉक्टर अजय कुमार 𝙌𝙪𝙞𝙩𝙩𝙚𝙧 भी…..?

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जिसके कारण 𝙄𝙋𝙎 की नौकरी छोड़ी, उसी की पार्टी के गठबंधन के साथ डॉक्टर अजय कुमार चुनाव मैदान में….
निडर भी, 𝙇𝙚𝙖𝙙𝙚𝙧 भी के साथ क्या डॉक्टर अजय कुमार 𝙌𝙪𝙞𝙩𝙩𝙚𝙧 भी…..?
भारतीय पुलिस सेवा का एक तेजतर्रार ऑफिसर जिसने 𝙎𝙋 के रूप में जमशेदपुर में ऐसा भौकाल मचाया कि अपराधी या तो मुठभेड़ में मारे जाने लगे या आत्मसमर्पण कर जेल में खुद को सुरक्षित महसूस करने लगे या फिर शहर छोड़ कर भागने में ही अपनी भलाई समझी।
शहर से डॉक्टर अजय कुमार ने अपराध खत्म करने का शॉर्टकट चुना और अपराधियों का धड़ाधड़ एनकाउंटर होने लगा । शहर में 1995- 96 में गरमनाला के साहेब सिंह, वीरेंद्र सिंह, कल्लू सिंह ग्रुप और हिदायत खान गिरोह के राजू गरी, शैलेंद्र सिंह, मस्तान सिंह, नौशाद और लक्खी गौड़ के बीच जमकर गैंगवार चल रहा था और लगभग प्रत्येक दिन इन दोनों गुटों के बीच फायरिंग और काउंटर अटैक की खबरें अखबार की सुर्खियां बना करती थी ।
इस बीच टाटा वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष वी. जी. गोपाल की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। अपराधियों के बढे मनोबल को डॉक्टर अजय ने धराशाई कर दिया और एनकाउंटर के साथ-साथ माफियाओं के घरों को फिल्मी स्टाइल में बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया।
एक-एक कर अपराधियों का खात्मा होने लगा, परंतु एसपी डॉक्टर अजय कुमार के हिट लिस्ट में सबसे ऊपर हिदायत खान तक 𝙎𝙋 डॉक्टर अजय कुमार पहुंच नहीं पा रहे थे और डॉक्टर अजय कुमार ने हिदायतखान की गिरफ्तारी को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया।
इसी बीच लगभग सारे बड़े माफिया या तो पुलिस मुठभेड़ में मारे गए या आपसी गैंगवार में मारे गए, परंतु तब के मोस्ट वांटेड हिदायत खान का हाथ नहीं आना डॉक्टर अजय को बेचैन किए हुए था।
काफी प्रयास करने के बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के निवास पर डॉक्टर अजय कुमार ने हिदायत खान को लालू प्रसाद यादव के साथ रंगे हाथ पकड़ने की कोशिश की परंतु लालू प्रसाद यादव के सीधे तौर पर हस्तक्षेप के बाद डॉक्टर अजय खाली हाथ लौटे और अपमान का यह घूंट डॉक्टर अजय कुमार को जहर की भांति पीना पड़ा।
इस असफलता से आहत डॉक्टर अजय ने आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और टाटा मोटर्स को ज्वाइन कर लिया।
नोट- डॉ अजय कुमार और हिदायत खान प्रसंग सूत्रों से बातचीत पर आधारित है।
इस खबर के लेखक ने जब एक बार डॉक्टर अजय कुमार से बातचीत की थी उस समय वह राजनीति में आ चुके थे और झारखंड विकास मोर्चा पार्टी से जमशेदपुर लोकसभा सीट से सांसद थे। उस बातचीत में जब लेखक ने डॉक्टर अजय कुमार से पूछा था कि (इस बातचीत के समय हिदायत खान अपने ऊपर लगे सभी आपराधिक मामलों से बरी हो चुके थे और राजनीति में प्रवेश करने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष थे) अगर राजनीति में ऐसी स्थिति आई कि आपको हिदायत खान का समर्थन लेना पड़ा तो आप क्या करेंगे?
जवाब में डॉक्टर अजय कुमार ने स्पष्ट कहा था कि भाई साहब आप मुझे नहीं जानते। मैं मर जाना पसंद करूंगा पर हिदायत खान जैसे लोगों से समर्थन लेकर कभी राजनीति नहीं करूंगा । आज समय का फेर देखिए की डॉक्टर अजय राजनीति में झारखंड विकास मोर्चा से कांग्रेस में गए, कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में गए, और फिर आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में आए। झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में डॉक्टर अजय कुमार इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से उम्मीदवार हैं और गठबंधन के घटक दलों में झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल है। हिदायत खान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बेहद करीबी और झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन हैं। और हिदायत खान के सहयोगी रहे राजू गिरी झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव हैं।
हिदायत खान की जमशेदपुर शहर के मुस्लिम मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ है और वर्तमान स्थिति में डॉ अजय कुमार का हिदायत खान के समर्थन के बगैर चुनावी दौड़ में बने रहना कठिन होगा। वर्तमान में डॉक्टर अजय कुमार क्या करेंगे?
हिदायत खान की वजह से क्या एक बार फिर चंचल हृदय के स्वामी डॉक्टर अजय राजनीति को भी अलविदा कहेंगे?
क्योंकि एक ही गठबंधन में रहते हुए डॉ अजय को हिदायत खान से कई बार आमना सामना होगा और हो सकता है कि सार्वजनिक रूप से जब डॉक्टर अजय कुमार का हिदायत खान के साथ मंच भी साझा करना पड़े ।
डॉ अजय कुमार ने आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा अगर हिदायत खान की असफल गिरफ्तारी की वजह से दिया था तो आज डॉक्टर अजय हिदायत खान के साथ कामन एजेंडे के तहत, समान विचारधारा के साथ हिदायत खान के साथ कदमताल करने में कितने सहज हैं?
यह जमशेदपुर की जनता जानना चाहती है और डॉक्टर अजय को यह बताना चाहिए इस विषय में उनकी क्या राय है।

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