बहुत ही विचित्र भौगोलिक स्थिति हो चुकी है जमशेदपुर शहर की| एक तरफ लोक आस्था का केन्द्र माँ शेरावाली का “मनोकामना मंदिर” और जमशेदपुर सिक्ख समुदाय का “सेन्ट्रल गुरुद्वारा” और दूसरी ओर इनके ठीक सामने वेश्यावृत्ति का बाजार “होटल ग्रैंड”| एक तरफ नवरात्रि में माँ शेरावाली के नौ रूपों की पूजा होती है, कन्याओं को पूजा जाता है और दूसरी ओर इसके ठीक सामने छोटी कन्याओं (नाबालिग बच्चियों) को देह व्यापार के दलदल में ढकेलने का घिनौना काम वर्षों से जारी है| एक तरफ माँ शेरावाली को चुनरी ओढाकर उनके प्रति भक्ति प्रकट की जाती है और वहीं दूसरी ओर ठीक सामने बच्चीयों के अस्मिता से खिलवाड़ वर्षों से जारी है| कैसे प्रसन्न होगी शेरावाली जब तक संजय सिंह जैसे जिस्म के दलाल समाज की आंखों में धुल झोक कर वेश्यावृत्ति का कारोबार जारी रखे हुए हैं?
एक तरफ सिक्खों के आस्था का प्रमुख केन्द्र साकची सेन्ट्रल गुरुद्वारा जहाँ पूरे शहर की गहरी आस्था है और जहाँ संचालित होने वाले स्कूल में सैकड़ों बच्चे और बच्चियाँ पढाई करते हैं और साथ ही सिक्ख समाज के कई धार्मिक कार्यक्रम भी प्रायः आयोजित होते हैं और दूसरी ओर ठीक सामने वेश्यावृत्ति का सबसे बड़ा केन्द्र होटल ग्रैंड में छोटी बच्चियों को जिस्मफरोशी के दलदल में ढकेलने का घिनौना काम जारी है| फैसला आम जनता को करना है|
सेन्ट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से और मनोकामना मंदिर के कमिटी से विनम्र आग्रह है कि होटल ग्रैंड में चल रहे इस गंदे काम से बच्चीयों के ऊपर पडने वाले गलत प्रभाव से बचाने के लिए कुछ पहल करें|