भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुल चार युग होते हैं। सत्य युग ,त्रेता युग, द्वापर युग, और कलयुग।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। राम के वनवास जाने के समय अयोध्या की गद्दी “भरत” को सौंप गई परंतु “भरत” ने एक सांकेतिक राजा की तरह राजपाट चलाया और वनवास की अवधि समाप्त होने पर जब राम अयोध्या को वापस लौटे तो हर्ष पूर्वक राजा के पद को त्याग दिया। ताकि राम अयोध्या के राजा बन सकें।
यह बात तो त्रेता युग की है परंतु ऐसे उदाहरण कलयुग में शायद ही कभी देखने को मिले हैं। ईडी द्वारा बनाए गए जोरदार दवाब के बीच हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा उनके जेल जाने के बाद सबसे बड़ा प्रश्न था कि मुख्यमंत्री का पद कौन संभालेगा?
दावेदार तो कई थे परंतु पार्टी और सोरेन परिवार को तलाश थी सबसे विश्वस्त्र सिपहसालार की जो इस राजगद्दी के विरासत को निष्कपट रूप से चला सके।
और आगामी विधानसभा चुनाव 2024 में झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस और राजद गठबंधन को जीत के सट्टा बाजार में सबसे आगे भी रख सके।
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद यह तलाश खत्म हुई झारखंड टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन पर। चंपई सोरेन, सोरेन परिवार के भी नहीं थे और यह काटों भरा ताज चंपई सोरेन ने अपने सर माथे पर सहर्ष स्वीकार किया।
चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकतंत्र का महापर्व यानी लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा हुई। इस कठिन घड़ी में सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने झामुमो का साथ छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गई। विषम अग्नि परीक्षा की इस घड़ी में चंपई सोरेन ने अपने अनुभव और कौशल का शानदार प्रदर्शन किया और 2019 लोकसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक सीट के मुकाबले 2024 में तीन सीटें जितवाने में सफल रहे। और साथ ही साथ सहयोगी कांग्रेस भी दो सीटें जीतने में सफल रही।
दूसरी अग्नि परीक्षा की घड़ी आई जब हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने गांडेय विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और चंपई सोरेन ने अपने कौशल से यह सीट भी जीतकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के तिलिस्म को बरकरार रखा।
इस बीच 152 दिनों के जेल यात्रा के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए और ठीक 5 दिनों के बाद चंपई सोरेन ने आधुनिक “भरत” का आचरण पेश करते हुए मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया, ताकि हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री पद पर दोबारा ताजपोशी हो सके। कहते हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है और चंपई सोरेन का इतिहास जो बिल्कुल “भरत” की तरह है, झारखंड की जनता और समय याद रखेगा।
