क्या जमशेदपुर पश्चिम की जनता को धोखा देने को तैयार हैं सरयू राय…..?

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जनता दल यूनाइटेड के कर्ताधर्ता और पिछले कई सालों से बिहार की राजनीति का केंद्र बने हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि “बिना पेंदी का लोटा” वाली रही है। लालू विरोध को अपना राजनीतिक एजेंडा बनाकर राजनीतिक युद्ध में लालू यादव के कथित “जंगल राज” के खिलाफ जनता के बीच अलख जगाने वाले नीतीश कुमार किसी दिन खुद ही लाल यादव के शरण में चले जाएंगे, ऐसा किसी ने भी सोचा नहीं था। और अचंभित करने वाली बात क्या है कि ऐसा एक बार नहीं बल्कि दो दो बार हुआ।
राष्ट्रीय जनता दल का कोर वोट बैंक माय समीकरण पर टिका हुआ है। यानी कि मुस्लिम और यादव।
बिहार में मुसलमानों की पहली पसंद राजद और कांग्रेस गठबंधन ही है। 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में जब जमशेदपुर पश्चिम से सरयू राय का टिकट कटा तो सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्वी से निवर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ निर्दलीय लड़ने का फैसला किया। सहानुभूति के लहर पर सवार होकर सरयू राय रघुवर दास को पराजित करने में भी सफल रहे, परंतु 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में सरयू राय ने पैंतरा बदलते हुए चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले बिहार जाकर जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए।
केंद्र में मोदी सरकार अल्पमत में है और जनता दल यूनाइटेड के समर्थन से मोदी सरकार की गति स्थित है।
इसी का फायदा उठाते हुए सरयू राय जनता दल यूनाइटेड में गए और गठबंधन धर्म की कसम खिलाते हुए जमशेदपुर पश्चिम के सीट जनता दल यूनाइटेड कोटे के तहत अपने लिए आवंटित करने में सफल हो गए।
वर्तमान स्थिति में सरयू राय को गठबंधन के तहत भाजपा कार्यकर्ताओं और संगठन पर ही भरोसा करके चलना होगा, क्योंकि जमशेदपुर पश्चिम में जनता दल यूनाइटेड की राजनीतिक पकड़ और उपस्थिति शून्य है।
यानी की सरयू राय लड़ भले जनता युनाइटेड के टिकट पर हैं परंतु उनकी नजर भाजपा के कार्यकर्ताओं और उसके वोट बैंक पर ही है।
कल्पना कीजिए कि अगर सरयू राय चुनाव जीत जाते हैं और बिहार की राजनीति में एक बार फिर परिवर्तन देखने को मिलता है, जब नीतीश कुमार फिर से राजद के पास पहुंचते हैं ।
तो क्या सरयू राय के एजेण्डा में भी माय समीकरण मुस्लिम और यादव शामिल होंगे? वर्तमान में जमशेदपुर पश्चिम में सरयू राय पूरी तरह से भाजपा के कोर वोटर्स और सनातन हिंदू धर्म के समर्थकों पर निर्भर है।
और उनके सहयोग से अगर सरयू राय बन्ना गुप्ता को( जिनको कांग्रेस + झामुमो+ राजद + वामपंथी का समर्थन है) हरा देते हैं जिन्हें पूरी तरह से मुस्लिम और यादव वोट बैंक का सहारा है तो क्या सनातन हिंदू के ध्वजवाहक और भाजपा के वोटर खुद को ठगा हुआ महसूस नहीं करेंगे?
वैसी स्थिति में सरयू राय क्या करेंगे?
वे जनता दल यूनाइटेड के विधायक बने रहेंगे या नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देंगे?
सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम की जनता से माफी मांगेंगे?
दरअसल सारा खेल कुर्सी का है।
सरयू राय जमशेदपुर की जनता के लिए एक पैराशूट उम्मीदवार हैं। जमशेदपुर में 2005 के चुनाव के पहले सरयू राय यहां के लिए अपरिचित थे और आज 74 वर्ष की आयु में भी ऐसी कौन सी महत्वाकांक्षा सरयू राय जी के भीतर सुलग रही है जिसके लिए जमशेदपुर पश्चिम की जनता के साथ धोखेबाजी करने को तैयार बैठे हैं।

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