पुराने आलू को बना देते नये जैसा! कैसे हो रहा मिलावट का ये खेल, नकली को कैसे पहचानें?

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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों ने जांच में इस मिलावट को पकड़कर करीब 180 क्विंटल आलू को नष्ट करा दिया है.

सहायक आयुक्त खाद्य डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि सूचना मिली थी कि सहजनवा रेलवे स्टेशन के पास लगने वाले बाजार में अमोनिया केमिकल से तैयार किए गए आलू को नया बताकर बेचा जा रहा है. इसी क्रम में गोरखपुर मंडी में भी मिलावटी आलू बेचने की शिकायत मिली थी. ऐसे में टीम ने दोनों जगह छापेमारी की तो सच्चाई सामने आई.

व्यापारी ने बताया…

सहजनवा में 60 किलो आलू और गोरखपुर में एक क्विंटल 20 किलो मिलावटी आलू जब्त किया गया. आलू को नष्ट करा दिया गया है. अधिकारियों ने बताया कि व्यापारी ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि यह आलू संत कबीर नगर से खरीद कर लाया था. व्यापारी ने बताया कि एक क्विंटल आलू में 10 किलो नया और 90 किलो पुराना आलू का अनुपात होता है. पुराने आलू को केमिकल से तैयार किया जाता है.

किसान गोपीनाथ ने बताया कि आलू की फसल तैयार होने में कम से कम तीन महीने लगते हैं और जो सबसे आगे की वैरायटी है, इसकी खुदाई भी अपने यहां फरवरी से शुरू होगी. गोरखपुर के आलू कारोबारी शाहिद का कहना है कि अभी आलू की कुछ फसल पंजाब और हिमाचल में तैयार हुई है. अपने यहां बहुत कम नए आलू की आवक है. ठेलों पर जो धड़ल्ले से नया आलू बेचा जा रहा है, वह केमिकल से पुराने को नया करके बेचा जा रहा है.

जानकार बताते हैं कि 50 किलो रुपए प्रति किलो की रेट से अमोनिया बाजार में मिलता है. उसका घोल तैयार कर उसमें पुराना आलू 14 घंटे के लिए डुबो दिया जाता है. उसके बाद उसको निकाल कर मिट्टी में रगड़ा जाता है. केमिकल के चलते उसका छिलका काफी मुलायम हो जाता है, थोड़ा रगड़ने पर ही उसका छिलका छूट जाता है.

मिलावटी आलू कितना नुकसान?

इस संबंध में डॉक्टर सोहन गुप्ता का कहना है कि हमारा शरीर भी अमोनिया का निर्माण करता है. हमारे शरीर में अमोनियम 15 से 45 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर के हिसाब से होता है. हम जब केमिकल युक्त आलू खाते हैं तो इसका स्तर बढ़ जाता है जो बेहद खतरनाक होता है. ऐसे आलू के सेवन से दिमाग का संतुलन खराब हो सकता है. लिवर डैमेज हो सकता है. थकान अधिक आ सकती है. इससे पेट में सूजन भूख न लगना, कब्ज की बीमारी भी हो सकती है. अमोनिया का स्तर शरीर में बढ़ने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.

ऐसे करें पहचान

आपके घर में जो नया आलू पहुंचा है वह वास्तव में नई पैदावार है या पुराने को नया बनाकर दुकानदार ने आपको दिया है. इसकी पहचान भी आप कर सकते हैं. वास्तविक नए आलू को पानी में धुलने पर उसकी मिट्टी जल्दी साफ नहीं होती है. वह चिपकी रहती है, जबकि जो मिट्टी में लपेटकर केमिकल से तैयार किया गया नया आलू होता है, वह तुरंत साफ हो जाता है.

यही नहीं केमिकल से तैयार आलू काटने पर पानी छोड़ता है और वह कुछ स्पंजी टाइप का भी होता है. ऐसे में यदि यह सब लक्षण दिखे तो आप समझ जाइए कि आपका नया आलू केमिकल से तैयार करके बनाया गया है और आप सतर्क हो जाइए.

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