मानगो बस स्टैंड या “क्राइम स्टैंड”….?पिछले लगभग कई वर्षों से एक ही पुलिसकर्मी रविंद्र सिंह के भरोसे पूरा बस स्टैंड…..

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मानगो बस स्टैंड या “क्राइम स्टैंड”….?
पिछले लगभग कई वर्षों से एक ही पुलिसकर्मी रविंद्र सिंह के भरोसे पूरा बस स्टैंड…..
जमशेदपुर शहर का इकलौता बस स्टैंड, यहां से प्रतिदिन लगभग 400 बसें संचालित होती हैं।
इन बसों से हजारों यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं। यह बस स्टैंड हजारों वर्ग फीट में फैला हुआ है। इस बस स्टैंड से रोजाना कई राज्यों के लिए बसें यात्रियों को लेकर रवाना होती हैं या फिर उन बसों का दूसरे राज्यों से इस बस स्टैंड में आगमन होता है। यह बस स्टैंड यात्रियों को कई तरह की सुविधा उपलब्ध करवाता है। परंतु वास्तव में जमशेदपुर शहर का मानगो बस स्टैंड “क्राइम स्टैंड” बनकर रह गया है।
स्थानीय प्रशासनिक गठजोड़ के तहत बस मालिक, बस ड्राइवर, गाड़ी को बुक करने वाली एजेंट, और कुछ सक्रिय रूप से दलालों के गठजोड़ ने मानगो बस स्टैंड को क्राइम स्टैंड के रूप में बदलने का कार्य किया है।
यह स्टैंड सीताराम डेरा थाना के अधीन आता है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि पिछले करीब 7 वर्षों से मानगो बस स्टैंड स्थित पुलिस पिकेट में एक ही पुलिसकर्मी रविंद्र सिंह पदस्थापित हैं। इतने लंबे समय से एक पुलिसकर्मी का एक ही जगह ड्यूटी करना कई शंकाओं को जन्म देता है। इनका सारा काम अवैध वसूली में लिप्त रहना है और सूत्रों ने बताया कि कई तरह की गैर कानूनी ढुलाई और अवैध कारोबार इस स्टैंड में रविंद्र सिंह के देखरेख और निगरानी में बखूबी चल रहा है।
बिहार में शराब प्रतिबंधित है, परंतु अवैध शराब की धुलाई भी बिहार के लिए धड़ल्ले से होती है। ताजातरीन जानकारी सूत्रों ने दी है कि अति ज्वलनशील श्रेणी के पटाखे की ढुलाई इन यात्री बसों में रविंद्र सिंह की निगरानी और जानकारी में पैसों की आड़ में बदस्तूर जारी है।
शहर में हत्याओं की श्रृंखला बेरोकटोक जारी है। पुलिस अपराधियों को हथियारों के साथ गिरफ्तार तो करती है परंतु इस बात से बेखबर है कि अपराधियों के पास हथियार आते कहां से हैं। सवारी और उनके सामान दोनों की आड़ में हथियार के आपूर्तिकर्ता आराम से इन यात्री बसों का उपयोग करते हैं।
और वही हथियार अपराधियों के द्वारा हत्या सहित तमाम अपराध करने के माध्यम बनते हैं। इन यात्री बसों में प्रतिबंधित मादक पदार्थों जैसे भांग ,गांजा और नशीली दवाइयां सहित अन्य वस्तुओं की ढुलाई यात्री लगेज के रूप में दिखाकर खुलेआम की जाती है, और स्टैंड में स्थापित रविंद्र सिंह इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं ।
समय-समय पर पुलिस के उच्च अधिकारियों द्वारा गुप्त सूचना के आधार पर इन बसों से मादक पदार्थों की खेप पकड़ी जाती है ,परंतु प्रायः इन मादक पदार्थों के आपूर्तिकर्ता अपना काम बदस्तूर जारी रखते हैं।
एक शहर से दूसरे शहर या एक राज्य से दूसरे राज्य तक मोटरसाइकिल की ढुलाई की अनुमति नहीं है ,परंतु रविंद्र सिंह को ₹500 शुल्क देकर कोई भी यह काम आसानी से करवा सकता है। भले ही मोटरसाइकिल चोरी की हो या उस मोटरसाइकिल का किसी अपराध में प्रयोग किया गया हो। उड़ीसा, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यात्री ढुलाई के नाम पर और उनके लगेज के नाम पर हर गैर कानूनी कार्य को अंजाम दिया जाता है।
साथ ही साथ इस अवैध ढुलाई से सरकारी राजस्व के रूप में करोड़ों रुपए का नुकसान सरकार को होता है। दरअसल इस बस स्टैंड को आधुनिक रूप से सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है । पूरे स्टैंड में कहीं भी यात्रियों की मेटल डिटेक्टर से जांच नहीं होती है। और ना ही उनके सामानों को आधुनिक मशीनों द्वारा स्कैन ही किया जाता है।
वांछित और फरार अपराधियों की तस्वीर भी बस स्टैंड में लगनी चाहिए। जिला प्रशासन को अविलंब इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि हमारा शहर अपराधियों के लिए अपराध करने की प्रयोगशाला ना बने।
बस स्टैंड में कुछ महीनो पूर्व तक कार्यरत एक व्यक्ति ने यह भी बताया की इन सारे गैर कानूनी कामों में वसूली के लिए पुलिसकर्मी रविंद्र सिंह ने एक सहायक रखा हुआ है जिसका नाम छोटू सिंह है । इस बस स्टैंड से साल भर में अवैध वसूली का अनुमानित आंकड़ा 20 लाख रुपए से ऊपर का है। प्रशासन इसकी जांच करे ।
नोट– मानगो बस स्टैंड में पदस्थापित एक मात्र पुलिसकर्मी रविंद्र सिंह की सेवा पिछले कुछ वर्षों से –24×7×365 है।

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