अपने मुख्यमंत्रित्व काल में रघुवर दास ने झारखंड में गौ हत्या व गौ मांस के व्यापार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था ।
इसे लेकर तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गाबा ने गृह विभाग व पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। मुख्य सचिव के निर्देश पर पशुपालन विभाग ने उपायुक्तों को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि झारखंड में गौ हत्या दंडनीय है। गौ मांस का व्यापार पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसलिए इसे कड़ाई से लागू किया जाए।
इस पत्र के अनुसार केवल दो परिस्थितियों में ही गौ हत्या स्वीकार्य होगा।
1.असाध्य बीमारी या
2.असहनीय पीड़ा होने की स्थिति में ही गौ हत्या को गलत नहीं माना जाएगा।
इन दोनों परिस्थितियों के अलावा किसी भी अन्य स्थिति में गौ हत्या दंडनीय अपराध होगा । इस आदेश के अनुसार गौ हत्या करने के उद्देश्य से ले जाए जा रहे पशुओं को जब्त कर किसानों को देने का नियम बनाने की बात कही गई थी। इस आदेश से पहले ही सन 2005 में ही अर्जुन मुंडा के मुख्यमंत्रित्व काल में गौ हत्या झारखंड में वर्जित कर दी गई थी।
इन आदेशों के बाद भी झारखंड के जमशेदपुर शहर का प्रख्यात जूते चप्पलों का प्रतिष्ठान “श्रीलेदर्स” में खुलेआम अपने उत्पादों के लिए गाय के चमड़ों का प्रयोग हो रहा है।
शहर में श्रीलेदर्स के दो मुख्य प्रतिष्ठान हैं। एक साकची में और दूसरा बिष्टुपुर में स्थित है। पूरे भारत में श्रीलेदर्स के चेन्नई सहित कुल 38 प्रतिष्ठान हैं, जो अलग-अलग शहरों में है।
इन प्रतिष्ठानों में जूते चप्पलों के अलावा पुरुषों के लिए बेल्ट, पर्स, लेदर के जैकेट्स और महिलाओं के लिए हैंडबैग सहित अन्य चमड़े के उत्पादों का विक्रय होता है।
प्रश्न यह है कि इतने बड़े चमड़े के व्यापार के लिए इतनी बड़ी मात्रा में गाय के चमड़े की उपलब्धता किस प्रकार संभव हो पाती है ?
कहीं ऐसा तो नहीं की श्रीलेदर्स के मालिकों के गौ हत्या कर उसके चमड़े का अवैध रूप से व्यापार करने वालों के साथ घनिष्ठ रूप से व्यापारिक संबंध हों?
दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि सनातन और वैदिक धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है, और कई अवसरों पर उनकी सार्वजनिक रूप से पूजा की जाती है।
सनातन और वैदिक धर्म में आस्था रखने वाले लोगों में कट्टर ब्राह्मण, क्षत्रिय, ब्रह्मर्षि समाज, कायस्थ और अन्य जातियों के लोग शामिल हैं। दरअसल उन्हें यह जानकारी ही नहीं है कि वे जिस चमड़े के बने उत्पाद का प्रयोग कर रहे हैं ,दरअसल वह गाय के चमड़े से बना है।
गाय के चमड़े से बने इन उत्पादों को वे अनजाने में अपने-अपने घरों में रखते हैं। दरअसल श्रीलेदर्स हो या अन्य कोई भी जूते चप्पल का व्यवसाय करने वाली कंपनियां, यह अपने शोरूम में कहीं भी यह लिखा हुआ नहीं दर्शाते कि उनके यहां बिक्री के लिए सजाई गई चमड़े के उत्पादों में गाय के चमड़े का प्रयोग किया गया है।

नोट– श्रीलेदर्स के शोरूम में इसके उत्पादों में गाय के चमड़े के प्रयोग से संबंधित सूचना और जानकारी गूगल पर उपलब्ध है…..