टाटा स्टील जमशेदपुर शहर का लीज होल्डर है और इस लीज एग्रीमेंट के तहत टाटा स्टील ने इस शहर में अपना कारखाना स्थापित किया| शहर को संपूर्ण स्वरूप प्रदान करने के लिए और सभी धर्म का सम्मान रखते हुए टाटा स्टील ने मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा और चर्च सभी को समान आदर भाव देते हुए जगह प्रदान किया और उन्हें स्थापित करने में अपना सहयोग भी किया| खेलकूद के लिए कीनन स्टेडियम, जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कंपलेक्स, गोल्फ ग्राउंड, मोहन आहूजा स्टेडियम, चेस अकैडमी, स्क्वैस सहित कई केन्द्रों स्थापित किया| शहर का सबसे बड़ा अस्पताल टीएमएच स्थापित किया, शहर के लोगों के लिए सबसे बड़ा ब्लड बैंक स्थापित किया, एडवेंचर प्रेमियों के लिए टीएसएएफ यानी टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन बनाया, शहर के डॉक्टरों को 𝙄𝙈𝘼 भवन बनाकर दिया ,रेड क्रॉस भवन बना कर दिया| अधिवक्ताओं को धालभूम क्लब बनाकर दिया| शहर के निजी स्कूलों को खेलकूद का मैदान सहित भवन निर्माण के लिए बड़ा भूखंड दिया, और तो और अलग-अलग राज्यों के नाम पर भी अलग-अलग भूखंड दिया जैसे उत्तर प्रदेश संघ ,बिहार एसोसिएशन, आंध्रा एसोसिएशन, उत्कल एसोसिएशन,बंगाल क्लब, केएसएमएस ,डीबीएमएस, ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए टीएसआरडीएस यानी टाटा स्टील रूरल डेवलपमेंट बनाया परंतु लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार जगत के लिए कुछ नहीं किया| हिंदुस्तान के सभी नामचीन और अग्रणी समाचार पत्रों के संस्करण जमशेदपुर शहर से प्रतिदिन प्रकाशित होते हैं और कुल अनुमानित प्रति तीन लाख के करीब है इसके अलावा देश के तमाम अग्रणी न्यूज़ चैनलों के कार्यालय और संवाददाता भी शहर में कार्यरत है| वर्तमान में खबरों को सर्वाधिक तेज गति से प्रसारित करने का सबसे बड़ा माध्यम डिजिटल मीडिया या न्यूज़ पोर्टल के संवाददाता भी अच्छी खासी संख्या में हैं| शहर में स्थापित सभी अखबारों के कार्यालय लाखों रुपए किराया देकर अपना काम चला रहे हैं ठीक उसी तरह की स्थिति न्यूज़ चैनलों की भी है| टाटा स्टील को जब अपने प्लांट विस्तारीकरण की जरूरत महसूस हुई तो साक्ची के सैकड़ो वर्कर्स फ्लैट और सुपरवाइजर फ्लैट को तोड़ दिया गया| बर्मामाइंस के सैकड़ो क्वार्टर्स को तोड़ा गया, साकची के एडीएल स्कूल, ग्रेजुएट कॉलेज सहित कई इमारतें को तोड़कर अपने वीस्तारिकरण के कार्य को पूरा किया,|कुत्तों के लिए कैनल क्लब, घोड़ों के लिए हॉर्स राइडिंग क्लब, टाटा स्टील जूलॉजिकल केंद्र बनाया तो क्या शहर के पत्रकारों की स्थिति टाटा स्टील की नजर में जानवरों से भी बदतर है? आखिर क्या वजह है की शहर के पत्रकारों और पत्रकारिता जगत के लिए टाटा स्टील ने अपने स्थापना के 118 वर्षों के पश्चात भी कुछ नहीं किया?
अगले अंक में कुछ चुनींदा पत्रकारों द्वारा टाटा स्टील से लिए जा रहे व्यक्तिगत लाभ के विषय में…..

क्रमश:———-