सरयू राय खुद भयभीत…भाजपा क्यों डर रही है सरयू राय से…..?

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सरयू राय खुद भयभीत…
भाजपा क्यों डर रही है सरयू राय से?
सरयू राय के व्यक्तिगत हित साधने के फेर में भाजपा आसमान से जमीन पर पहुंच चुकी है। अपने अहंकार की लड़ाई में सरयू राय ने खांटी दूध में नींबू डालकर दूध को फाड़ने में अपनी सारी राजनीतिक कौशल का जमकर उपयोग किया है।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा आलाकमान के निर्णय को दरकिनार करते हुए जमशेदपुर पश्चिम को छोड़कर जमशेदपुर पूर्व से लड़कर निर्दलीय विधायक बने।
2024 के विधानसभा चुनाव में 74 वर्ष के सरयू राय की राजनीतिक महत्वाकांक्षा चरम पर है। और जनता दल यूनाइटेड का सहारा लेकर सरयू राय एक बार पुनः जमशेदपुर पूर्व को छोड़कर जमशेदपुर पश्चिम से ताल ठोकते नजर आने वाले हैं।
सरयू राय जी का आत्मविश्वास बड़े जोरों से चरमरा रहा है और अपनी राजनीतिक हैसियत को कमजोर पडते देख 2024 के चुनाव में इन्होंने जमशेदपुर पूर्व से नहीं बल्कि जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
इस बार सरयू राय की आत्मविश्वास रूपी नौका बीच मझधार में हिचकोले खाती नजर आ रही है। 28 अक्टूबर 2022 को सूर्य मंदिर में वर्चस्व को लेकर रघुवर दास जी और सरयू राय के समर्थकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ।
और सरयू राय समर्थकों को रघुवर दास जी के समर्थकों ने 50 गुना ज्यादा की संख्या में एकत्रित होकर दौड़ा-दौड़ा कर धूना और सरयू राय द्वारा गठित भारतीय जनतंत्र मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव की जमकर पिटाई की गई ।
जिसके बाद घायल सर में टांके लगवाने टाटा मुख्य अस्पताल में कई दिनों तक भर्ती रहकर अपना इलाज करवाना पड़ा। इस दिन यह तय हो गया था की सरयू राय के लिए जमशेदपुर पूर्व की जमीन बंजर हो चुकी है और अगर दोबारा यहां से लडे तो उनकी जमानत भी जब्त हो सकती है।
सरयू राय जी की वजह से भाजपा के लिए कभी अभेद्य किला रही जमशेदपुर पूर्वी की सीट से भाजपा अभी तक अपने प्रत्याशी का चुनाव नहीं कर पाई है।
यूं तो जमशेदपुर पूर्व से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए कई मजबूत दावेदार हैं। इनमें अभय सिंह, राजकुमार सिंह, दिनेश कुमार, रामबाबू तिवारी, शिव शंकर सिंह और पूर्णिमा दास है।
परंतु सरयू राय के जमशेदपुर पूर्वी के मैदान से हटने के बाद सबसे सशक्त उम्मीदवार स्वयं रघुवर दास हैं।
2014 के विधानसभा चुनाव में रघुवर दास एक लाख से ज्यादा मतों से जीते थे और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो ने जमशेदपुर पूर्व से डेढ़ लाख से ज्यादा मतों से बढत दर्ज की थी।
ऐसे में जमशेदपुर पूर्व से सबसे योग्य उम्मीदवार रघुवर दास खुद हैं। अगर कोई तकनीकी अड़चन आती है तो जमशेदपुर पूर्व से नि:संदेह अभय सिंह की दावेदारी 24 कैरेट सोने के समान नजर आती है। कट्टर हिंदू का व्यक्तित्व रखने वाले अभय सिंह हर मामले में टिकट के दावेदारों में सबसे मजबूत ,योग्य और सर्वमान्य व्यक्ति नजर आते हैं। अभय सिंह सालों से कई चुनाव में भाजपा के लिए और बाद में झारखंड विकास मोोर्चा के लिए कुशल सारथी की भूमिका निभा चुके हैं।
संगठन में अभय सिंह का योगदान अतुलनीय है। चाहे वह आभा महतो रही हों, शैलेंद्र महतो रहे हों, नितीश भारद्वाज रहे हों, डॉक्टर अजय कुमार रहे हों, या विद्युत वरण महतो रहे हों, अभय सिंह सर्वश्रेष्ठ सारथी की भूमिका में नजर आए हैं।
भाजपा को असमंजस की स्थिति से बाहर आकर जमशेदपुर पूर्वी से निर्विवाद रूप से और यथाशीघ्र प्रत्याशी के तौर पर पहला विकल्प के रूप में रघुवर दास को और दूसरे सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में अभय सिंह को चुनना चाहिए।

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