इनसाइड स्टोरी —–
जगदीप धनखड़ बीती रात से भूतपूर्व उपराष्ट्रपति हो गए हैं। कल उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। मुमकिन है राजनीति से संन्यास लेकर बाकी उम्र वकालत में निकलें क्योंकि धनखड़ पहले भी बड़े कॉर्पोरेट घरानो और प्रभावशाली लोगों के वकील रहे हैं।
साल 2009 में एक वक्त ऐसा भी आया था जब धनखड़ भिलाई स्टील प्लांट के खिलाफ दुर्ग कोर्ट में खड़े हुए थे। दरअसल, भिलाई स्टील प्लांट के मॉडर्नाइजेशन एंड एक्सपेंशन प्रोजेक्ट में नई ब्लास्ट फर्नेस-8 का करीब 1500 करोड़ का ठेका पोहांग स्टील कंपनी (पॉस्को) को मिला था लेकिन कथित अनियमितताओं के चलते सेल-भिलाई स्टील प्लांट ने वह ठेका रद्द कर दिया था।
इसके बाद दुर्ग कोर्ट में पॉस्को ने याचिका दाखिल की थी। जिसमें पॉस्को की तरफ से जगदीप धनखड़ केस लड़ने दुर्ग आए थे। हालांकि तमाम कोर्ट-कचहरी करने के बावजूद पॉस्को को यह ठेका दोबारा नहीं मिल पाया था।
जगदीप धनखड़ बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों के अलावा अभिनेता सलमान खान जैसे प्रभावशाली लोगों के भी वकील रहे हैं। उपराष्ट्रपति नहीं होने के बाद मुमकिन है फिर से कोर्ट में नजर आए…..
जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया?
ऐसा लगता है कि वो सरकार के लिए embarrassment बनते जा रहे थे। परेशानियां पैदा करने लगे थे। इसीलिए उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया. मैं आपको अंदर की बात बताता हूं कि टकराव कैसे शुरू हुआ. कहां तक गया, ये समझाता हूं। पहली बात, जगदीप धनखड़ जब से राज्यसभा के Chairman बने उन्होंने ये impression दिया कि वो सरकार के शीर्ष नेताओं के बहुत करीब हैं. जो भी करते हैं, वो उन्हीं के कहने पर करते हैं. आपको याद होगा, संसद के परिसर में Vice-President के झुके-झुके व्यवहार की mimicry की गई थी, जिसका video राहुल गांधी ने बनाया था। उसकी वजह ये थी कि Chairman के तौर पर धनखड़ साहब विरोधी दलों के नेताओं से लगातार टकराते थे. विरोधी दलों के नेता convince हो गए थे कि धनखड़ साहब सरकार के इशारे पर उन्हें बोलने नहीं देते. बार-बार उनका अपमान करते हैं. इस कारण सरकार और विरोधी दलों के बीच टकराव बढ़ता गया. दूसरी बात, कुछ महीने पहले धनखड़ साहब ने Judiciary पर direct attack किया. Supreme Court पर हमला किया. Parliament की supremacy की बात की. Judges को भी ये लगा कि Vice-President साहब ये काम सरकार के इशारे पर कर रहे हैं. वो सरकार के करीब हैं. Judiciary और सरकार के बीच टकराव जैसी स्थिति पैदा हो गई. तीसरी बात, इन मामलों पर जब उन्हें समझाने की कोशिश की गई तो वो नाराज़ हो गए. उन्होंने याद दिलाना शुरू किया कि कैसे Vice-President होते हुए भी उन्होंने जगह-जगह सरकार को defend किया. अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी. ये सरकार से उनके direct टकराव की शुरुआत थी. बात बढ़ती गई. चौथी बात, उन्होंने जगह-जगह सरकार की top leadership की शिकायत करनी शुरू कर दी. RSS से लेकर मंत्रियों तक. विपक्षी दलों से लेकर media के senior लोगों तक. उनकी शिकायत थी कि सरकार में उनसे कोई बात नहीं करता. उन्हें घुटन हो रही है और कोई उनकी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाए वरना मुझे कुछ करना पड़ेगा. ये एक तरह की धमकी थी, सरकार से सीधा टकराव था. Final phase में धनखड़ साहब ने तेवर दिखाने शुरू किए. कांग्रेस के नेताओं से मिले. Arvind Kejriwal को time दिया. इन सबको बहुत कुछ कहा. यशवंत वर्मा के impeachment का case अपने हाथ में लेने की कोशिश की. जब सरकार को लगा कि अब वो राज्यसभा में भी embarrassment create कर सकते हैं, खुले टकराव की situation पैदा हो सकती है, तब उन्हें एक phone गया. ये convey किया गया कि अब ये खेल ज़्यादा नहीं चलेगा और ये भी बता दिया गया कि अगर धनखड़ साहब ने अपना रवैया नहीं बदला तो उनका impeachment भी हो सकता है. धनखड़ साहब को इस बात की उम्मीद नहीं थी. उन्होंने top leadership का assessment करने में गलती कर दी, दांव उल्टा पड़ गया. इसीलिए उन्होंने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा।
कभी भिलाई स्टील प्लांट के खिलाफ दुर्ग कोर्ट में खड़े हुए थे जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़ बीती रात से भूतपूर्व उपराष्ट्रपति हो गए हैं। कल उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। मुमकिन है राजनीति से संन्यास लेकर बाकी उम्र वकालत में निकलें क्योंकि धनखड़ पहले भी बड़े कॉर्पोरेट घरानो और प्रभावशाली लोगों के वकील रहे हैं।
साल 2009 में एक वक्त ऐसा भी आया था जब धनखड़ भिलाई स्टील प्लांट के खिलाफ दुर्ग कोर्ट में खड़े हुए थे। दरअसल, भिलाई स्टील प्लांट के मॉडर्नाइजेशन एंड एक्सपेंशन प्रोजेक्ट में नई ब्लास्ट फर्नेस-8 का करीब 1500 करोड़ का ठेका पोहांग स्टील कंपनी (पॉस्को) को मिला था लेकिन कथित अनियमितताओं के चलते सेल-भिलाई स्टील प्लांट ने वह ठेका रद्द कर दिया था।
इसके बाद दुर्ग कोर्ट में पॉस्को ने याचिका दाखिल की थी। जिसमें पॉस्को की तरफ से जगदीप धनखड़ केस लड़ने दुर्ग आए थे। हालांकि तमाम कोर्ट-कचहरी करने के बावजूद पॉस्को को यह ठेका दोबारा नहीं मिल पाया था।
जगदीप धनखड़ बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों के अलावा अभिनेता सलमान खान जैसे प्रभावशाली लोगों के भी वकील रहे हैं। उपराष्ट्रपति नहीं होने के बाद मुमकिन है फिर से कोर्ट में नजर आए…..
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सुरेन्द्र सिंह की कलम से –👆👆
लेखक आज तक(नई दिल्ली )के वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं। स्पाई पोस्ट के आग्रह पर ये आर्टिकल उन्होंने लिखा है
