प्रतियोगिता श्रद्धा, विश्वास और भावनाओं का हो, पूजा पंडालों का नहीं — अभय सिंह
किसी ने जमशेदपुर दुर्गा पूजा समिति के लिए एक प्रतिस्पर्धा करवाई, जिसमें जमशेदपुर के साढ़े 300 पूजा पंडालों को पसंद करने के लिए जनता को वोटिंग राइट्स दिया गया। प्रथम, द्वितीय तीसरे नंबर को प्राप्त करने वालों को अपने प्राइज देने की घोषणा की यह बड़ा ही हास्यास्पद है।
हमारी समिति चाहती है कोई भी पूजा पंडाल की प्रतिस्पर्धा इस शहर में होना उचित नहीं है। क्योंकि वैसे भी समिति है जो अभावग्रस्त रहकर किसी प्रकार अपने धर्म का पालन करती है और वह पूरा समय देकर के पूजा संपन्न कराने में सफल हो जाती है। हमें वैसे पूजा समितियां को उत्साहित और प्रोत्साहित करना चाहिए।
इस प्रकार की प्रतियोगिता करना बिल्कुल उचित नहीं है। क्योंकि पूजा शांति सद्भाव के साथ संपन्न हो यह पहला मापदंड होना चाहिए। हमें पूजा पंडाल बनाकर कला संस्कृति को भी बिखेरनी चाहिए यह दूसरा कदम होता है।
भाइयों को कहना चाहता हूं आपने प्रतिस्पर्धा कराया यह उचित नहीं है, क्योंकि पूजा पंडाल का कंपटीशन नहीं होना चाहिए बल्कि शांति सद्भाव के साथ जो पूजा संपन्न हो वह प्रतिस्पर्धा आपको करनी चाहिए।
प्रथम, द्वितीय तृतीय करके आप छोटे-छोटे पूजा पंडाल वालों को मन में बहुत ही गहरा दुख लगेगा और हमारी काशीडीह समिति आपकी यह प्रतिस्पर्धा से दूर रहना चाहती है।
हमने तीनों दिन लगातार अपने लाउडस्पीकर से यही कहते रहे हमारे कार्यकर्ता के द्वारा कि हमें किसी कंपटीशन पर पूजा पंडाल को नहीं रखा जाए।
सबसे बड़ी प्राथमिकता हमारा पूजा को शांति से संपन्न करना है।
हमारी समिति आपके यह प्राइज नहीं लेने जाएगी। आप इस प्राइज को किसी अनाथ आश्रम में दे देंगे तो बहुत बड़ी मेहरबानी होगी।
आगे से काशीडीह पूजा समिति पहले ही उद्घोषणा कर देगी कि किसी भी प्रतिस्पर्धा से हमारी पूजा पंडाल समिति को बाहर रखा जाए।


