भाजपा में रहकर भी हिंदूत्व के एजेंडे के कितने साथ विधुत वरण महतो….?

0 min read

जमशेदपुर से भाजपा की निवर्तमान सांसद विद्युत वरण महतो ने कल तीसरी बार जमशेदपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन किया। नामांकन में हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ भी उमड़ी, जय श्री राम, बजरंगबली की जय जैसे धार्मिक नारे भी खूब लगे। वक्ताओं ने पूरे जोश के साथ कहा कि इस लोकसभा चुनाव में 5 लाख से अधिक मतों से विद्युत वरण महतो को जिताना है।
परंतु दबी जुबान से कुछ लोग यह भी कहते सुने गए कि विद्युत महतो जब बजरंगबली की मूर्ति को टाटा स्टील के गुंडो द्वारा बलपूर्वक विसर्जन करने से रोक नहीं पाए( मामला विरूपा रोड साकची) का है), जब बजरंगबली को छत उपलब्ध करवा नहीं पाए (मामला साकची स्थित बजरंगबली मंदिर का है)
सूर्य मंदिर परिसर में हुए रघुवर दास और सरयू राय गुट के बीच हुए हिंसक झड़प में कुछ बोल नहीं पाए
पिछले साल भाजपा नेता अभय सिंह को जेल जाने से रोक नहीं पाए। तो हिंदुत्व के एजेंडे को किस तरह निभा पायेंगे ?
कोई भी संवेदनशील मुद्दा हो चुप्पी साध लेते हैं और अपने सेफ जोन में चले जाते हैं।
दरअसल भाजपा में आने से पहले विद्युत वरण महत्व ने अपने राजनीतिक यात्रा की शुरुआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की थी । झारखंड मुक्ति मोर्चा से ही उन्हें राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में पहचान मिली‌। बहरागोड़ा से झामुमो उम्मीदवार के रूप में कुछ चुनाव हारने के बाद यह एक चुनाव जीतने में सफल हुए और झामुमो विधायक बने, परंतु अति महत्वाकांक्षा के शिकार इन्होंने विधायक का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए।
कहीं ऐसा तो नहीं बीजेपी में रहकर भी झारखंड मुक्ति मोर्चा से इनका मोह भंग नहीं हो पा रहा?
और शायद इसलिए भाजपा के उग्र हिंदुत्व के एजेंडे से तालमेल बिठाने में यह खुद को असहज महसूस कर रहे हैं?

You May Also Like

More From Author